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फ़िल्म-समीक्षा - Noor

कलाकार: सोनाक्षी सिन्हा, कानन गिल, पूरब कोहली, शिबानी दांडेकर, मनीष चौधरी, स्मिता तांबे, एम. के. रैना
निर्देशक: सनहिल सिप्पी
निर्माता: भूषण कुमार, कृशन कुमार, विक्रम मल्होत्रा


पाकिस्तानी लेखिका सबा इम्तियाज के उपन्यास ‘कराची यू आर किलिंग मी’ पर आधारित है सोनाक्षी सिन्हा की ‘नूर’ । सबा के उपन्यास में कराची शहर एक अहम किरदार दिखाया गया है । यह एक 20 साल की आयशा खान नाम की एक पत्रकार की कहानी है, जो कराची में रहती है, करांची जो दुनिया के सबसे खतरनाक शहरो में से एक माना जाता है। बहरहाल, फ़िल्म ‘नूर’ में कराची मुंबई हो जाता है और आयशा नूर हो जाती है।





वैसे समंदर कराची में भी है और मुंबई में भी। दोनों बंदरगाह हैं, लिहाजा अपने देशों के प्रमुख व्यापारिक शहर भी हैं। ऐसा लगता की करांची और मुंबई की कुछ समानताओं को मद्देनजर रखते हुए ‘नूर’ के निर्माताओं ने ‘कराची यू आर किलिंग मी’ को मुंबई की पृष्ठभूमि में फिल्माने का फैसला है

नूर राय चौधरी (सोनाक्षी सिन्हा) गंभीर पत्रकारिता करने की इच्छा रखने वाली एक प्रतिभाशाल पत्रकार के रूप में नज़र आ रही है लेकिन उसका बॉस शेखर (मनीष चौधरी) उसे सनी लियोने का इंटरव्यू करने भेज देता है। नूर अपनी पर्सनल लाइफ में प्यार चाहती है। कई आम लड़कियों की तरह नूर भी एक हैंडसम और अच्छी आर्थिक स्थिति वाला एक बॉयफ्रेंड चाहती है, लेकिन ऐसा हो नहीं पाता।


इस बात की झल्लहाट उसके स्वभाव में दिखाई देती है। चीजें उसके हिसाब से नहीं घटतीं। उसका बॉस एक दिन उसे डॉक्टर शिंदे की पॉजीटिव स्टोरी करने के लिए भेजताहै, जो गरीबों की गंभीर बीमारियों का भी मुफ्त इलाज करता है। स्टोरी करने के सिलसिले में उसे अपने यहां काम करने वाली मालती (स्मिता तांबे) से पता लगता है कि डॉक्टर शिंदे इस समाज सेवा की आड़ में गरीबों के अंग निकाल कर बेच देता है।



ऐसा उसने मालती के भाई विकास तांबे के साथ किया था। नूर ये स्टोरी अपने बॉस को बताती है, लेकिन उसका बॉस इस पर बाद में विचार करने को कहता है। नूर यह कहानी अयान बनर्जी (पूरब कोहली) को बताती है, जिसके साथ वह पिछले कुछ दिनों से डेटिंग कर रही है। अयान एक बड़े न्यूज चैनल का नामी पत्रकार है। वह नूर की कहानी को अपनी कहानी बता कर अपने चैनल पर चला देता है। इस घपले के सामने आने की वजह से मालती के भाई विकास की हत्या हो जाती है। नूर को बहुत धक्का लगता है। वह गहरे अंतद्र्वंद्व में फंस जाती है। लेकिन अपने दोस्तों की मदद से फिर सामान्य होती है और इस लड़ाई को सोशल मीडिया के सहारे आगे बढ़ाने का फैसला करती है।



नूर थोड़ी हट कर प्रस्तुत की गयी है, लेकिन इसमें सोनाक्षी का किरदार ‘पेज 3’ के कोंकणा के किरदार की याद जरूर दिलाता है। कई कमियों के बावजूद यह फिल्म थोड़ा असर छोड़ कर जाएगी। कई जगहों पर हंसाती है, कई जगह पर भावुक भी करती है। यह फिल्म सोशल मीडिया की ताकत को बताती है और पत्रकारीय मूल्यों के आदर्श के बारे में भी थोड़ी बात करती है। निर्देशक सनहिल सिप्पी का निर्देशन कई जगहों पर प्रभावित करता है, लेकिन कई जगह पर ऐसा लगता है कि वो हड़बड़ी में हैं और चीजों को बड़े कैजुअल तरीके से निपटा देते हैं।

कुछ दृश्यों में मुंबई का चित्रण अच्छा है। कई जगह संवाद भी दिलचस्प हैं, युवाओं को पसंद आने वाले। अंग्रेजी संवाद भी काफी जगह हैं। इस फिल्म का सबसे कमजोर पक्ष है संगीत। एक तो गाने कम हैं और जो हैं, बिल्कुल बेअसर हैं।
कलाकारों का अभिनय अच्छा है। खासकर नूर के दोस्त शाद सहगल के रूप में कानन गिल प्रभावित करते हैं। नूर के बॉस शेखर के रूप में मनीष चौधरी भी असर छोड़ते हैं। पूरब कोहली हमेशा की तरह हैं।

सोनाक्षी के पापा के रूप में एम. के. रैना जंच रहे हैं और मालती के रूप में स्मिता ताम्बे का अभिनय बढ़िया है। लेकिन यह फिल्म पूरी तरह से सोनाक्षी सिन्हा की फिल्म है और उन्हीं के इर्द-गिर्द घूमती है। सोनाक्षी ने बेशक अपनी जिम्मेदारी पूरी तरह निभाई है। वह इस फिल्म में अपने अभिनय से चौंकाती हैं। नूर के किरदार में कई शेड्स हैं और सोनाक्षी हर शेड में प्रभावित करती हैं। चाहे वह शिकायती मूड में रहने वाली लड़की हो, पार्टी का मजा लेने वाली लड़की हो या चुनौती को स्वीकार करने वाली लड़की हो, हर रंग में सोनाक्षी जंची हैं।







कुल मिला कर ‘नूर’ निराश नहीं करेगी.. अगर सोनाक्षी के फैन है तो ज़रूर देखें




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