नादिरा - "अजीब दास्ताँ है ये"
हमेशा अपने समय से आगे चली और नाम कर गयीं
जी हाँ हम बात कर रहे हैं नादिरा की ...
९ फरवरी के ही दिन 2006 में फिल्म अभिनेत्री नादिरा का निधन हुआ था
उनका नाम फ्लोरेंस ईजेकील था और उन को आमतौर पर नादिरा के नाम से जाना जाता था। वह भारतीय सिनेमा में एक अभिनेत्री थीं और वह श्री 420 (1955), पाकीज़ा (1972) और जूली (1975) जैसी फिल्मों में अपने अभिनय के लिए हमेशा याद की जाएगी।
नादिरा का एक नाम फरहत भी था और वह 5 दिसंबर 1932 को नागपाड़ा, दक्षिण मुंबई, में पैदा हुईं थीं जो मुख्य रूप से एक मुस्लिम और यहूदी इलाका था।
नादिरा एक बगदादी यहूदी परिवार में पैदा हुई थीं। उन के दो भाई थे, जिनमें से एक संयुक्त राज्य अमेरिका और दूसरे भाई इसराइल रहने चले गए।
नादिरा ने दो बार शादी की। उन्होंने पहली शादी उर्दू कवि और फिल्म निर्माता नख़शब जारचुवी के साथ की। कुछ समय के बाद उन का तलाक होगया। नख़शब जारचुवी 1964 में पाकिस्तान चले गए। उनकी दूसरी शादी केवल एक सप्ताह तक ही चली।
वह बहुत ज्यादा पैसे लेने वाली अभिनेत्री थीं। वह पहली भारतीय अभिनेत्रि थीं जिन के पास रोल्स रॉयस कार थी।
वह मुंबई में अकेली रहती थीं क्यूंकि उनके सब रिश्तेदारों इसराइल चले गए थे। अपने जीवन के अंतिम तीन वर्षों में वह केवल एक नौकरानी, शोभा, के साथ दक्षिण मुंबई में वसुंधरा बिल्डिंग में अपने फ्लैट में रहती थीं।
उन के पास एक छोटी सी लेकिन बहुत अच्छी तरह से व्यवस्थित लाईब्रेरी भी थी।
वह हमेशा अपना जन्मदिन 5 दिसंबर को पड़ोस के बच्चों के साथ मनाया करती थीं और उन्हें बिरयानी और केक खिलाया करती थीं।
नादिरा का निधन 73 वर्ष की आयु में 9 फरवरी 2006 को मुंबई के ताड़देव में भाटिया अस्पताल में एक लंबी बीमारी के बाद हुआ।
नादिरा को 1952 में फिल्म आन से शोहरत मिली। उस फिल्म में उन्होंने एक राजपूत राजकुमारी की भूमिका निभाई थी।
उन्होंने, 1955 में, श्री 420 में माया नाम की एक अमीर सोशलाइट का रोल निभाया। उन्होंने दिल अपना प्रीत और प्रीत पराई, हंसते ज़ख़्म और अमर अकबर एंथनी जैसी फिल्मों में मुख्य भूमिका निभाई।
दिल अपना प्रीत और प्रीत पराई फिल्म का न भूला जाने वाला गाना, "अजीब दास्ताँ है ये" नादिरा, राज कुमार और मीना कुमारी पर फिल्माया गया था।
नादिरा ने 1950 और 1960 के दशक में खूब नाम कमाया। वह आम तौर पर एक खलनायिका की भूमिका निभाया करती थीं।
उन्होंने 1972 में कमाल अमरोही द्वारा लिखित व निर्देशित भारतीय क्लासिक फिल्म पाकीज़ा में एक यादगार भूमिका निभाई। उन्होंने इस में फिल्म गौहर जान का किरदार निभाया। नादिरा का उर्दू उच्चारण एकदम सही था।
नादिरा को 1975 में फिल्म जूली में जूली की मां मार्गरेट, 'मैगी' की भूमिका के लिए, सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का फिल्मफेयर पुरस्कार दिया गया।
वह 1980 और 1990 के दशक में अपने कैरियर के एक नए चरण में दाखिल हुईं और उन्होंने एक सहायक अभिनेत्री के रूप में बुजुर्ग महिलाओं का रोल निभाना शुरु कर दिया। सन २००० में नादिरा ने जोश में आखिरी बार अपनी अदाकारी दिखाई
उन्होंने वह टेली धारावाहिकों में भी काम किया। उन्होंने धारावाहिक "थोडा सा आसमान" में बहुत अच्छा काम किया। इस धारावाहिक में वह श्रीराम लागू की पत्नी बनी थीं।
अभिनेता टॉम ऑल्टर ने एक बार उन के बारे में कहा था, "नादिरा एक ऐसी महिला थीं जो अपने समय से आगे थीं। वास्तव में, वह एक ऐसी महिला थीं जो सब समयों के लिए थीं - सुंदर, बोल्ड, और सच्ची।
नादिरा 50 साल पहले वह सब कुछ थीं जो आज की महिलाएं बनने का प्रयास का प्रयास कर रही हैं।
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