google1e404caf35315df4.html फ़िल्म समीक्षा -अनारकली ऑफ़ आरा - MMFNEWS24

Header Ads

फ़िल्म समीक्षा -अनारकली ऑफ़ आरा


"अबला बबाल देख
डायन छिनाल देख
कुलटा कमाल देख - सारा-रारा-रा" 


कुछ फ़िल्में वैसे तो बिना किसी पब्लिसिटी के आती है और चली जाती हैं पर अपना असर छोड़ जाती है और उसी असर के चलते हमें उसे देखने की ज़रूरत समझ आती हैं - एक अंदरूनी तिलिस्म या जादू कहिये की हम चल पड़ते हैं उस सिनेमा हॉल की तरफ ऐसी ही एक फिल्म है अनारकली ऑफ़ आरा 
मन है तो देखिये ज़रूर 



१ - अविनाश दास की #अनारकली ऑफ़ आरा सोच की हद से काफी आगे निकल गयी है, जी हाँ असल ज़िन्दगी से भी आगे जहाँ जाने के लिए हर आम आदमी सोचता है, Male entitlement और female consent पे बहुत बात हो रही है पिछले कुछ समय से लेकिन फिर भी जो बातें और लोग उन mainstream debates से छूट गयीं/गए, या जो सही से नहीं कहीं गयीं, उन सबका धुआँधार निचोड़ है।

२ - स्वरा भास्कर (Swara Bhasker) ने जो आत्मा फूँकी है अनारकली में, अपने अस्तित्व का एक-एक कण डाल दिया है। ऐसी दमदार मुख्य किरदार पेश किया है की अगर ऐसा किरदार सामने आ जाये तो आपको डर लगे।

३ - ग़ज़ब के गाने। छिछोरे से लेकर क्रांतिकारी तक - और कई बार दोनों ही एक साथ। रोहित शर्मा का संगीत, और रविंदर रंधावा, रामकुमार  सिंह , Dr सागर, और ख़ुद अविनाश  के बोल - ("हम खेत तू कूदारी, हम चाल तू जुआरी"), पावनी पांडे और स्वाति शर्मा की बेहतरीन आवाज़ें .. कमाल का कॉम्बिनेशन हैं  

४ - फ़िल्म की भाषा की बात करें तो इतनी प्रामाणिक भाषा बहुत कम हिंदी फ़िल्मों में सुनने को मिलेगी। भकुआना से लेकर सीजना - हर शब्द में रस है। जो भी 'उधर के' लोग हैं, उनको तो मज़ा ही आ जाएगा।


५ - फ़िल्म का पहला और आख़िरी सीन। दो बिंदुओं से वैसे तो एक लाइन बनती है लेकिन यहाँ एक पूरा वृत्त बनता है।

६ - 'राज कपूर और वहीदा रहमान की तीसरी क़सम' को दिया गया छोटा सा, सुंदर सा ट्रिब्यूट नज़र आएगी ये फ़िल्म

७ - अनारकली के यूनिवर्स के बाक़ी किरदार। पंकज त्रिपाठी का 'नाच', Sanjai Mishra का वीभत्स रूप, इश्तेयाक खान का हैरी, अनवर (Mayur More), मफ़लर, एटीएम।

८ - अविनाश दास की पहली फ़िल्म, एकदम independently बनायी हुयी, सिर्फ़ दोस्तों और पागलपन की मदद से - तो ऐसी चीज़ों से जो धुआँ उठता है वो अलग ही रंग देता है।



No comments

Recent Comments