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फ़िल्म समीक्षा -'द गाजी अटैक'

फिल्म का नाम: 'द गाजी अटैक' डायरेक्टर: संकल्प रेड्डी 
स्टार कास्ट: अतुल कुलकर्णी, के के मेनन, राणा डग्गुबत्ती, तापसी पन्नू, ओम पुरी, राहुल सिंह
अवधि: 2 घंटा 05 मिनट 
सर्टिफिकेट: U/A 
रेटिंग: 3.5 स्टार

भारत और पाकिस्तान के बीच वैसे तो कई युद्ध हुए हैं जिनके बारे में कई साक्ष्य मिलते है और बारे में लोगों को जानकारी भी है पर एक ऐसी लड़ाई भी हुई थी जिसके बारे में बहुत कम लोगों को ही पता है. 1971 की समंदर के भीतर की लड़ाई पर आधारित है फिल्म 'द गाजी अटैक'

कहानी 

ये कहानी साल 1971 की है जब बांग्लादेश को ईस्ट पाकिस्तान के नाम से जाना जाता था, उस समय बांग्लादेश के बागी लोगों के ऊपर पाकिस्तान की आर्मी कड़ी कार्यवाही करती रहती थी,

17 नवम्बर को भारतीय नौ सेना के हेडक्वार्टर में खबर आती है कि पाकिस्तान की तरफ से समुन्दर के रास्ते भारत के आईएनएस विक्रांत पर एक अटैक किया जाने वाला है

नौ सेना हेड वी पी नंदा (ओम पुरी) इस बात की शिनाख्त करने के लिए ऑपरेशन 'सर्च लैंड' का गठन करते हैं जिसकी जिम्मेदारी एस 21 नामक पनडुब्बी के कप्तान रणविजय सिंह (के के मेनन) और लेफ्टिनेंट कमांडर अर्जुन (राणा डग्गुबत्ती) के हाथ में होती है

साथ ही इस दल में देवराज (अतुल कुलकर्णी) भी मौजूद होते हैं. फिर पानी के भीतर किस तरह से एस 21, पाकिस्तान के पीएनएस गाजी पर अटैक करके उनसे मार गिराता है, इसे फिल्म के दौरान दर्शाया गया है


इस फ़िल्म को क्यों देखना ज़रुरी है ?

-ये  फिल्म एक अनसुनी कहानी पर है, जिसके बारे में शायद बहुत ही कम लोग जानते है और डायरेक्टर राइटर संकल्प रेड्डी ने बड़े ही अनोखे अंदाज में पूरी कहानी दिखाई है. जिसमें कभी आप इमोशनल होते हैं तो कभी कुर्सी पकड़ के बैठ जाते हैं तो कभी राष्ट्र प्रेम की भावना भी जागृत होती है.

- फिल्म की सिनेमेटोग्राफी कमाल की है जिसकी वजह से आप सच में पनडुब्बी के भीतर और बाहर होने वाली घटनाओं को महसूस कर पाते हैं.

- अतुल कुलकर्णी, के के मेनन जैसे उम्दा अभिनेताओं की मौजूदगी इस फिल्म को और भी ज्यादा आकर्षक बनाती है. वहीँ राणा दगुबत्ती और राहुल सिंह का काम भी सराहनीय है. ओम पुरी साहब ने भी हमेशा की तरह सहज अभिनय किया था हालांकि वो इस फिल्म को देख पाने से पहले ही हम सबको छोड़ कर जा चुके हैं. तापसी पन्नू का भी छोटा लेकिन अच्छा रोल है.

- फिल्म का वीएफएक्स और बैकग्राउंड स्कोर भी काबिल ए तारीफ़ है. वहीँ डायलॉग्स भी जबरस्त हैं 

कमज़ोर कड़ियाँ 
क्योकि ये एक कॉमर्शियल फिल्म बिल्कुल नहीं है, इस फ़िल्म में आइटम सांग्स, मसाला जोक्स और कॉमेडी भी नहीं है इस लिए ये एक कमज़ोर कड़ी हो सकती हैं, यह एक्टिंग के साथ-साथ कई तथ्यों को जाहिर करती है जो शायद सभी के मिजाज को सही ना लगे

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