अमिताभ बच्चन ने बताई जान बच वापस आने की पूरी कहानी
बॉलीवुड में अपने अभिनय से सबकों दिवाना बनाने वाले बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन ने आज जो भी मुक़ाम हासिल किया है वो अपने दम पर किया है. दिन-रात मेहनत और लगन करके आज अमिताभ बच्चन फ़र्श से अर्श पर बैठे है. अमिताभ ने अपने बलबूते आज वो सब कुछ पा लिया है जो किसी भी अभिनेता को बॉलीवुड में नाम कमाने के लिए काफ़ी है
बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन का जन्म वैसे तो 11 अक्टूबर, 1942 को हुआ था. लेकिन अमिताभ बच्चन 2 अगस्त, 1982 को अपना पुर्नजन्म होना मानते है. 2 अगस्त 1982 वहीं दिन था जिस दिन ‘कुली’ की शूटिंग के समय हुई दुर्घटना में अमिताभ बुरी तरह से घायल हो गए थे और उन्हें कई चोंटे भी आई थी जिसकी वजह से कई महीनों तक अमिताभ बच्चन बेड से भी नही उठ पाए थे
‘कुली’ फ़िल्म की शूटिंग के समय सेट पर हुए इस भयंकार हादसे का जिक्र खुद अमिताभ ने करते हुए अपने ट्विटरअकाउंट पर लिखा कि, ” 2 अगस्त, 1982 को ‘कुली’ फ़िल्म की शूटिंग के समय मेरी सासें बंद होने को थीं, पर आप सब की प्रार्थना ने मुझे जिंदा रखा. यह एक ऐसा कर्ज़ है जो मैं कभी भी उतार नहीं पाऊंगा.”
अमिताभ बच्चन ने अपने इस सफल करियर में बहुत सी बेहतरीन फिल्मे की, लेकिन फिल्म ‘कुली’ उनकी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ के लिए बेहद खास रही, अमिताभ बच्चन की यह वो फिल्म थी जिसकी शूटिंग के समय अमिताभ मौत के मुंह से बच कर निकल आए थे
वो दिन था 24 जुलाई, 1982 का जब इस फिल्म के एक सबसे खास हिस्से को बेंगलुरु में फिल्माया जा रहा था. शूटिंग के समय इस फिल्म में विलेन का रोल अदा करने वाले एक्टर पुनीत इस्सर का घूंसा जब अमिताभ के मुंह पर पड़ा तो अमिताभ अचानक वहां पड़े स्टील के टेबल पर गिर गए और लुढ़कते हुए दूसरी ओर जा गिरे. यह सीन वहां मौजूद लोगों को असली लगा, और इस सीन को देखकर लोग अमिताभ के अभिनय के कायल हो गए.
इस सीन को शूट करने के बाद अमिताभ भी बहुत खुश हुआ और हल्के-हल्के मुस्कुराने लगे
लेकिन अमिताभ की यह खुशी ज्यादा देर नहीं टिक पायी और उन्हें पेट में हल्का दर्द होने लगा. आनन-फानन में अमिताभ को हॉस्पिटल ले जाया गया जहां उन्होंने डॉक्टरो को बताया कि शूटिंग के समय उस सीन को फिल्माते समय टेबल का कोना उनके पेट में जोर से चुभ गया था
लेकिन अमिताभ की यह खुशी ज्यादा देर नहीं टिक पायी और उन्हें पेट में हल्का दर्द होने लगा. आनन-फानन में अमिताभ को हॉस्पिटल ले जाया गया जहां उन्होंने डॉक्टरो को बताया कि शूटिंग के समय उस सीन को फिल्माते समय टेबल का कोना उनके पेट में जोर से चुभ गया था
अभिनेता अमिताभ और शूट पर उस समय मौजूद लोगों को अमिताभ की यह चोट मामूली लग रही थी, क्योंकि चोट लगने के बाद अमिताभ का खून जरा भी नहीं निकला था.शुरुआती जांच में डॉक्टरों को अमिताभ के पेट में कोई चोट दिखाई नहीं दी
अमिताभ का पेट का दर्द रोज़ के रोज़ बढ़ता ही जा रहा था जब उनसे उनका दर्द सहन नहीं हुआ तो डॉक्टरो ने अमिताभ के पेट का ऑपरेशन करने का फैसला किया. 27 जुलाई, 1982 को डॉक्टर्स ने ऑपरेशन कर दिया. ऑपरेशन के दौरान डॉक्टरों को अमिताभ पेट में कुछ ऐसा दिखाई दिया जिसको देखकर डॉक्टरो के भी होश उड़ गए.
अमिताभ बच्चन के पेट की झिल्ली (यह वह झिल्ली होती है जो पेट के कुछ अंगो को आपस में जोड़े रखती है और उन्हें केमिकल्स से बचाती है) और छोटी आंत बुरी तरह से फट चुकी थी. अमिताभ की तबियत में उस समय जरा भी सुधार नहीं हो रहा था
ऑपरेशन के ठीक एक दिन बाद 28 जुलाई को अमिताभ को निमोनिया भी हो गया. अमिताभ के शरीर में तेज़ी से जहर फैल रहा था और उनका खून भी पतला हो गया था
जब अमिताभ की तबियत और ज्यादा बिगड़ गई तो एयरबसकी मदद से अमिताभ को 31 जुलाई की सुबह बेंगलौर से मुंबई लाया गया. अमिताभ को मुंबई के ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल के स्पेशल विजिलेंस वॉर्ड में रखा गया था.
1 अगस्त को अमिताभ की तबियत में बहुत सुधार था और लोगों को लगने लग गया था कि अब वो पूरी तरह से ठीक है
जबकि 2 तारीख को अचानक अमिताभ की हालत फिर से बिगड़ गई. शरीर में जहर दोबारा फैलने के कारण डॉक्टर्स को एक बार फिर से उनका ऑपरेशन करना पड़ा.अमिताभ का ऑपरेशन लगभग 3 घंटों तक चला था. अमिताभ की हालत उस समय बहुत ज्यादा गंभीर थी, अमिताभ को अब दवाओं के साथ दुआओं की भी जरूरत पड़ चुकी थी
देशभर के अलावा दुनियाभर के लोगों ने भी अमिताभ के जल्दी से ठीक होने के लिए प्रार्थनाएं करना शुरू करना कर दिया. अमिताभ के प्रशंसको ने ऐसा कोई मंदिर नही छोड़ा जहां उनके लिए दुआएं ना मांगी गई हो. आखिरकार लोगों की दुआओं का असर होता हुआ दिखाई दिया और उनके स्वास्थ में सुधार आया. यही वजह है कि 2 अगस्त का दिन अमिताभ के लिए बेहद खास है.
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