राजा रवि वर्मा - प्रेम की यथार्थवादी अभियक्ति करने वाला रंग रसिया 29th अप्रैल जन्मदिन विशेष
उन्नीसवीं सदी के मशहूर पेंटर राजा रवि वर्मा वही आज २९ अप्रैल १८४८ को केरल के एक छोटे से शहर किलिमानूर में जन्म हुआ, वडोदरा (गुजरात) स्थित लक्ष्मीविलास पैलेस के संग्रहालय में उनके चित्रों का बहुत बड़ा संग्रह है।
उन्नीसवीं सदी के मशहूर पेंटर राजा रवि वर्मा वही शख्स है, जिन्होंने ना सिर्फ भारतीय देवी देवताओं के साकार स्वरूप में रंग भरें बल्कि राजा महाराजाओं के महलों में कैद देवी देवताओं को आम जनों के घरों तक पहुंचाया, अपने नकारात्मक विचार देने से पहले इस बात पर गौर कर लिया जाये की शायद ये उस वक़्त के दृश्य को परिभाषित करने के लिए ज़रूरी था
राजा रवि वर्मा के बारे में मैंने जितना पढ़ा उसके बाद मेरे अपने विचार यहीं है क्योकि वो एक सच्चा कलाकार था ऐसे में याद आते हैं, अजंता, एलोरा, कोणार्क और खजुराहो के मंदिर और उनकी दीवारों पर उकेरे गए कामुक चित्र और मूर्तियाँ, जिन्हें देखकर मानव मन प्रेम के सागर में डूब जाता है, महिला और पुरुष के प्रेम और अभियक्ति को पहली बार यथार्थवादी रूप में चेहरे प्रदान करने का काम किया राजा रवि वर्मा ने रंग रसिया' में रणदीप के साथ अभिनेत्री नंदना सेन , अभिनेता परेश रावल, आशीष विद्यार्थी, रजत कपूर, सचिन खेड़ेकर, विक्रम गोखले और सुहासिनी मुले भी अहम किरदार में हैं, फिल्म को दीपा साही और आनंद महेंद्रू ने प्रोड्यूस किया है
अंग्रेजी में इस फिल्म का नाम है कलर ऑफ पैशन्स, वहीं हिन्दी में इसे रंग रसिया नाम दिया गया
फ़िल्म की शुरुआत में आप देखेंगे की राजा रवि वर्मा को ब्रिटिश पुलिस अरेस्ट कर लेती है उनके सर पर इलज़ाम होता है मानव सूरत वाली देवीय चित्र बनाने का, फ़िल्म की शुरुआत और मध्य आपको बांध कर चलेंगे, एक चित्रकार को राजा की उपाधि मिलना ही अपने आप में उसकी क़ाबलियत को दर्शाता है, जीवन के उतार चढ़ाव को प्रस्तुत करती है फ़िल्म #रंग रसिया
राजा रवि वर्मा को कहाँ कहाँ से प्रेरणा मिलती है और वो अपनी कला में पारंगत व प्रसिद्ध होते हैं तो दूसरी ओर समाज और प्रेम के बीच के तनाव को कैसे सहन करते हैं सब कुछ आप देख पाएंगे, इस कथा के बाद अपने चित्रकार प्रेमी की कामना व धुन को देखते हुए सुगंधा अपने असली रूप में सामने आ जाती हैं जहाँ अध्यात्म का पहलू उसके चित्रों व रंगो में दिखाई देता है .. राजा रवि वर्मा के ऊपर ही बनी थी फिल्म रंग रसिया
मादक और उत्तेजक फिल्मांकन को रणदीप हूडा और नंदना सेन ने बड़ी सहजता से पेश किया हैआप नहीं रहेंगे, मैं नहीं रहूंगी ये भी नहीं रहेगा, रह जायेंगे तो बस ये चित्र और इसकी कला !!
उसके बाद एक ओर जहाँ राजा रवि वर्मा ऐसे चित्र बनाने के इलज़ाम से बरी होते हैं तो दूसरी ओर सुगंधा अपने प्राणों के साथ दूसरे लोक की तरफ़ चली जाती हैं क्योंकि इस प्रेमी जोड़े ने भी एक दूसरे को अपने असली रूप में देख लिया था
प्रेम, कामना, अभियक्ति, धुन, वासना, और आध्यात्म से प्रेरित राजा रवि वर्मा के जीवन के सारे पहलू आप देख पाएंगे रंग रसिया में
फिलहाल निर्माता जयंतीलाल गडा के प्रयासों से पांच साल बाद रिलीज़ होने जा रही यह फिल्म 7 नवंबर को पूरे भारत में रिलीज़ हुई थी
डाक्टर आनंद कुमारस्वामी ने उनके चित्रों का मूल्यांकन कर कलाजगत में उन्हें सुप्रतिष्ठित किया। ५७ वर्ष की उम्र में १९०५ में उनका देहान्त हुआ।
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