दिलकश शायरा, ट्रेजेडी क्वीन मीना कुमारी
तुम क्या करोगे सुनकर, मुझसे मेरी कहानी
बेलुत्फ जिंदगी के, किस्से हैं फीके- फीके।
गुजरे ज़माने की मशहूर अदाकारा, दिलकश शायरा, ट्रेजेडी क्वीन के नाम से विख्यात, साहिब,बीबी और गुलाम की छोटी बहू, पाकीजा, दिल एक मन्दिर, बैजू बावरा,दो बीघा जमीन, कोहिनूर, चित्रलेखा, काजल, आजाद, यहूदी, ग़ज़ल, मैं चुप रहूंगी , दिल अपना और प्रीति पराई व फूल व पत्थर जैसी सुपरहिट व संगीत प्रधान फिल्मों की बेमिसाल नायिका मीना कुमारी का जन्म 1अगस्त 1932 को मुम्बई में हुआ ।
उनके पिता पारसी थियेटर के कलाकार थे व माँ एक नृत्यांगना थीं। परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण उन्हें सात वर्ष की उम्र में पढ़ाई छोड़ फिल्मों में काम करना पड़ा । वे जन्मी तो माहजबीं बानो के रूप में थी लेकिन किस्मत ने उन्हें मीना कुमारी बना दिया।
मीना कुमारी की शुरूआती फिल्में पौराणिक थीं लेकिन उन्हें पहचान मिली 1952 में रिलीज़ हुई फिल्म बैजू बावरा से। फिल्म की अपार सफलता ने उन्हें रातोंरात स्टार बना दिया। 1953 में प्रदर्शित फिल्म दो बीघा जमीन व परिणीता ने उन्हें लोकप्रियता के शिखर पर पहुँचा दिया। परिणीता में वे आम भारतीय नारी की तकलीफ़ को रुपहले पर्दे पर चित्रित करती हैं। 1962 में साहिब बीबी और गुलाम में छोटी बहू के किरदार को जीवंत कर अपनी निजी जिंदगी को फिल्मी पर्दे पर साकार किया। पाकीज़ा उनकी सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में से एक मानी जाती है।
मीना कुमारी की जोड़ी अशोक कुमार के साथ खूब जमी। दोनों ने तमाशा, परिणीता , भीगी रात, शतरंज , पाकीज़ा , एक ही रास्ता , आरती व चित्रलेखा जैसी हिट फिल्में दीं। उन्होंने दिलीप कुमार के साथ फुटपाथ , आजाद व कोहिनूर जैसी यादगार फिल्मों में काम किया।
अपने अभिनय से तीन दशक तक सिने प्रेमियों के दिल पर राज करने वाली मीना की असल जिंदगी भी एक त्रासदी थी। कमाल अमरोही से तलाक के बाद उन्हें शराब की लत लग गयी। उनका फिल्मी सफर भले ही किसी हसीन सपने के समान रहा हो लेकिन फिल्म पाकीज़ा का गीत चलो दिलदार चलो चाँद के पार चलो उनके असल जिंदगी के फलसफे को बयां करता है।
बहुत कम लोग यह जानते हैं कि वे एक बहुत अच्छी शायरा भी थीं। आज इस महान अदाकारा को उनकी पुण्यतिथि पर भोर सुहानी की ओर से विनम्र श्रद्धाँजलि ।
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