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एक गुमनाम गायक जसपाल सिंह का गाया गीत - श्याम तेरी बंशी पुकारे राधा नाम #कहानी


आज जाने बातें जसपाल सिंह के जीवन की उन्हीं के द्वारा प्रस्तुत 'जयमाला' कार्यक्रम से। "फ़ौजी भाइयों, मैं ख़ुद ही बचपन से रफ़ी साहब का फ़ैन बोलिये, या मुरीद बोलिये, मैंने कॉलेज, स्कूल, जहाँ भी मैंने गाया है, रफ़ी साहब के गाने ही गाया है, और रफ़ी साहब की आवाज़ मेरे अंदर ऐसे घुसी कि जैसे मेरी आत्मा की आवाज़ है। मैंने जो भी गाने गाये, उन्हीं के गाये, और मेरे अंदर ऐसे बसी है जैसे नस-नस में आदमी के ख़ून बसा होता है न!

और मैं यह बताना चाहता हूँ कि उन्हीं से इन्स्पिरेशन लेके मैं समझता हूँ कि मैं गाना गाता था और उन्ही को अपना गुरु मानता रहा हूँ हमेशा। मैं पंजाब में, अमृतसर में पैदा हुआ, बचपन से मैं वहीं पे था, वहीं से मैंने ग्रजुएशन की। तो वहीं पे मैं स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटीज़ में गाता था, अवार्ड्स मिलते थे, 'even I was declared best singer of Punjab University also'. फिर मैं दिल्ली आ गया, लॉ किया मैंने, वहाँ सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस की, मगर मेरे मन में एक सिंगर बनने की बड़ी इच्छा थी और सब मेरे को, आसपास जितने लोग, रिश्तेदार, सब मेरे को बोलते थे कि तुम्हारे पास यह गुण है, इसका फ़ायदा उठाओ।


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तो मैंने कहा कि गुण तो है लेकिन ऐसा कोई आदमी तो होना चाहिए न कि जो आपको ब्रेक दे, आपको चान्स दे, और इसके लिए बहुत बड़ी स्ट्रगल है, और मैं बहुत सिम्पल सा आदमी हूँ और मैं बहुत सी बातें नहीं कर सकता। मगर कुदरत ने कुछ ऐसा करवाना था कि मेरी बहन की शादी बम्बई में हो गई। और मेरे जीजाजी भी फ़िल्म-लाइन से थोड़े कन्सर्ण्ड थे, तो मैं बम्बई आ गया। बम्बई आ गया तो मेरी बहन ने जो मेरे लिए किया वो तो शायद माँ-बाप भी नहीं करते। मैं अभी क्या उसके बारे में बोलूँ! मेरी बहन नें मेरे लिए बहुत कोशिशें की, मेरे जीजाजी ने मेरे को पहली पिक्चर में गाना गवाया, 'बंदिश' पिक्चर थी, उषा खन्ना जी के संगीत में, वह पिक्चर नहीं चली, लोग मुझे भूल गए। फिर एक गाना महेन्द्र कपूर जी के साथ गवाया।

फिर ये रवीन्द्र जैन जी के साथ मेरे ताल्लुक़ात हो गए, आना-जाना, उठना-बैठना, दोस्ती हुई, उनके साथ गाता था मैं, तो यह 'गीत गाता चल' पिक्चर के लिए, ये 'राजश्री' वाले पिक्चर बनाना चाहते थे, उन लोगों को एक नए लड़के की आवाज़ चाहिए थी, तो मैं एक दिन किसी और वजह से अपना टेप रेकॉर्डर पे अपना एक गाना उनको सुनाके आया था, तो किस्मत बोलिए या ईश्वर की कुछ कृपा बोलिए

आप सब लोगों का आशिर्वाद होगा, वह ब्रेक मेरे को मिला, और आप लोगों ने जिस गाने से मुझे पहचाना वह गाना था "गीत गाता चल ओ साथी गुनगुनाता चल, हँसते हँसाते बीते हर घड़ी हर पल"।

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